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Sanjay Shinde
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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - माझे मन तुझे मन, गुणगुणते प्रेमाचे गाणे 
हसून लाजून, चोरून नकळत पाहणे 
हृदयांतरी प्रीतीचा पाझर फुटणे 
सांगावे कसे अंतःकरणाने अंतःकरणाने...||१||
मन हे वेडे झाले,प्रेम बहरून आले 
पोसले जपले ,फुलापरी परीमळले 
भुंगा होऊन तुज भोवती घुटमळावे
प्रेमाच्या गंधात न्हाऊनी जावे 
जुळूनिया यावे मनाचिये धागे 
तुझ्या नि् माझ्या पहिल्या पाऊलाने...||२||
या मनाची रीत,जुळूनी धागे एकसुत 
गुंफले विणले,नाते एक अतूट 
 घडून हे यावे प्रेम अवचित 
 सरळ सोपं हे नातं कवचित 
आयुष्याच्या या वाटेवरती 
मिलन व्हावे कुण्या कारणाने...||३||
गगनाला या भिडावा,प्रेमाचा हा आनंद 
समईमध्ये भिजल्या वातीचा, प्रकाश पहावा मंद 
कुणाचा छंद, कुणी होई धुंद,प्रेमाचे अनेक रंग 
कुणाचा भंग,कुणाचं सोंग, ईर्षा बांधुनिया चंग 
प्रेमाचे सारे अनेक अंग 
वेचित जावे या हृदयाने...||४||
                                            -संजय शिंदे 












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Quote by Sanjay Shinde - सावन में पेड़ के पास पत्तों की भरी बाजार जैसी भीड़ होती हैं।   
तों कोई उसके ओर आकर्षित हों जाता हैं ।
पतझड़ में गिरें पत्तों को देखकर अक्सर उसका मजाक उड़ाया जाता हैं 
जो दाम की सावन की पत्तियों की तरहां कीमत करता है ।
तों कोई उसके ओर आकर्षित हों जाता हैं।
और जो पतझड़ के पेड़ की तरहां खड़े हैं उसका हंसीं मजाक उड़ाया जाता हैं, वहां कोई ठहरता नहीं।
-संजय शिंदे 
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Quote by Sanjay Shinde - दोस्ती एक दिल के पेड़ की तरहां,
पतझड़ में पत्तों की तरहां बिखर जाती हैं 
फिर बहारों की तरहां नयी दोस्ती मिलती हैं 
दोस्ती दिल में सिर्फ़ मौसम के अनुसार मोड़ बदलती हैं
दिल नहीं.....।

                               - संजय शिंदे 

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Quote by Sanjay Shinde - कीसानों की खेती फिल्म डीरेक्टर की तरहा,
किसी फ़सल को कास्टींग करुं तो 
खत पाऩी मिलनें पर ,हवां कें झोकों के साथ खेत में ही नाचनें लगती हैं ,चेहरें पे मुस्कुराहट, हंसी होती हैं |
ताकी डीरेक्टर के मन को सुकून मिलें,
अगर ये ख्वाईश पुरी ना हो तो ,
कोई अ्ॅक्टींग नहीं, चेहरा नाराज, तूफान आए हसानें को ,हसती नहीं 
बडा फांसी का फंदा देकर, कास्टींग करनें वालें डीरेक्टर को डूबोंती हैं|
-संजय शिंदे 



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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - जब कोई खड्डे में गिरता हैं 
तो स्वयम् या सहारे सें निकल जाएगा |
पर जो प्यार में गिरता हैं, उसका मन 
बाहर निकलने को हमेशा मना करेगा |
                      -संजय शिंदे. - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by Sanjay Shinde - प्यार में हर कोई खुद को छोडकर,
अपनें प्रेमीं का इलाज़ करनें का प्रयास करता हैं|
और 
प्यार ना मिलें या टूट जाए तो,
कोई भी दवाए या वैद्य काम नहीं आते हैं|
                            -संजय शिंदे 
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Quote by Sanjay Shinde - अगर प्यार हुऑं तो इत्तफाक ,नसीब या भाग्य सें
ब्रह्मांड में उसका कोई निश्चित समय नहीं 
और 
अगर प्यार करना चाहों तो खेतीबाड़ी जैसे 
मेहनत,बीज बोना, पाणी और खतों की सहायता से फ़सल लाना ठीक उसी तरहा 
प्यार में प्रेमी को होटल में खाना, सिनेमा दिखाना,अपनी गाडी सें घुमाना, और पटानें कें लिए जान अर्पण करना 
प्यार करनें वालों को ब्रह्मांड में निश्चित समय.....?
                                  -संजय शिंदे  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - जीवन में प्यार कुदरत का एहसास दिलाता हैं |
प्यार हुऑं तो मन को हरीयाली का एहसास होता हैं |
और प्यार टूट जाए तो मन अकाल महसूस करनें लगता हैं|
 कींतू परंतु प्यार में कुदरत कें एहसास का मौसम आता जाता हैं|
                     -संजय शिंदे  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by Sanjay Shinde - अगर शरीर साथ ऩ‌‌‌ दें
तो वैद्य हमेशा मन की तरहा 
उसे एहसास दिलानें की
कोशिश करता हैं|
                                            संजय शिंदे  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - पित्री खेळ..("ळ"मराठी,)
काळजात ठिणगी,लागता जाळ,शिजवाया प्रेमाची दाळ 
तेवढ्यात उरकून लग्न तिच्या बापानं केलाया पित्री खेळ 
...||धृ||
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Quote by Sanjay Shinde - जीवाचा पित्री खेळ...
माळावर गुर्‍हाळ,ऊसाची मळई,तिथं रसाला फुटती उखळी 
नुसती मायेची भूरळ, न्हाय बाई सरळ,स्वभावाची काटाळ मी कुसळी
अगं वाळूत  वेली, वेलीला कळी, कळीला आल्यावर वाळकं 
जीवांची जवळीक, मनाला मोकळीक,होऊ दे प्रेमाचं हेळकं...
मळ्यात केळी केळीला कळी, कळीला आल्यावर केळं 
लागती प्रितीची कळ,बसंना मेळ,आता घलूया दोन जीवांची झावळं...
काळंनिळं आभाळ गळतंया जळ, भरून वाहतीया ओघळ 
अंगात चळ,डोस्क्यात खुळ, घेऊन हाती मी वरमाळ... 
माळव्याचा तळ तळावर भाजी,आणाया जीव उताविळ 
जाई ती वेळ,जीवाचा घोळ,लग्न लावूनिया बापानं केलाया पित्री खेळ ...
                                  -संजय शिंदे. - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by Sanjay Shinde - प्यार खट्टा मिठा होता हैं तो बडा अच्छा लगता हैं 
 तिखापन आ जाये तो दिल जिंदगी भर भुका रहने लगता हैं 
तिखेपण की आग  दिखती नहीं, पर मसालों की तरह असर करती है ||
तेरा प्यार तिखा हैं जैसे जंगल में अकाल सुखा हैं 
टूटने के बाद मन नहीं लगता अब तो भुका रहना पसंद करता हैं |...
मेरा प्यार खट्टा मिठा हैं जैसे जंगल में हरीयाली हैं 
कसुर मसालों का कहां हैं प्यार भरी जिंदगी ईलायचीवाली हैं|...
 लगती हैं दिल में आग तिखेपन की ,एहसास तो हुआ 
प्यार की गरमी से तडपता दिल, ना कोई धुऑं |...
खट्टे मिठे प्यार का गहरा होता हैं स्वाद 
पगले पता चलता हैं सच्चा प्यार होने के बाद |...
बातों बातों में मिठापन रहे ये कहतें रहें
दो दिलों की धडकनें एक दुसरें को कहें |...
 तिखापन ना आए युहीं साथ साथ रहें 
दुनिया के हर कोनें में मिठे मिठे गीत गुंजतें रहें |...
                                                           - संजय शिंदे  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by Sanjay Shinde - प्यार खट्टा मिठा होता हैं तो बडा अच्छा लगता हैं 
 तिखापन आ जाये तो दिल जिंदगी भर भुका रहने लगता हैं 
तिखेपण की आग  दिखती नहीं, पर मसालों की तरह असर करती है 
                                - संजय शिंदे  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by Sanjay Shinde - प्रेमाचं पाऊल...
पाखराच्या या पंखावानी फडाडती या पापणी
चिठ्ठ्या चपाट्या वाचता डोळ्यात नदी भरते अश्रुंनी 
फाटला काळजाचा कागद न् उस्सावली मनाची टाचणी 
प्रेमाचं पाऊल पुसुन जाई गाळवाटांनी...||ध्रु||
विसरता विसरेना मन आठवणीत करीत राही गुणगुण
ना लागे कुणीकडं ध्यान निघून जाई दिस दिवसामागून
का होई प्रेमात मनाची चाचपणी...||१||
किती जपावं प्रेमाला तरी का ठेस लागावी मनाला
न सांगता कुणाला कवठाळंत राहावं दुःखाला 
दुःखाच्या पुरात मन राहिले रे आणवानी...||२||
तुटल्या मनाची कहाणी जणू पाण्याविना हिरव्या पिकाची करावी कापणी
काळजी कुणा या जीवनी प्रेमात पडता गेले लाचार होऊनी
फाटक्या काळजाचा तुकडा बसलो या हरवूनी...||३||
संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे.





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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - ऐ माझ्या जीवा जरा थांब लका
प्रेमात धोका चुकल काळजाचा ठोका...
परत मिळेना मोका गेले कित्येक लोका सांगे पिरतिच्या आणाभाका...
प्रेमात पाडता पाडता न् मनाला फुलापरी तोडता
कोरड्या किमतीचं पाणी मारता न् मायेचा तजेला जोडता
मंतरलेल्या वाटेवर मायेचा सुगंध कवा...ऐ माझ्या जीवा...||१||
प्रेमाच्या रस्साळ गोष्टी आयुष्याचं पटांगण का वाटे उजाड वस्ती
मनाच्या ओझं पाष्टी देण्यास आलिंगन का छळते उगाच धास्ती 
मनाला मायेचा पाझर फुटायला हवा...ऐ माझ्या जीवा...||२||
संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे.




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Quote by Sanjay Shinde - ऐसी धरियेलि चाड्यावर वज्रमूठ
घलुनिया स्वराज्याची वहिवाट 
शिवाईच्या गजरात
तोरण बांधियेले  महालास...
हुंऽऽअऽऽजीरंरंऽऽयेऽहेऽयेऽऽ.....
बैलाला ऽवढीबिऽऽलावंरं...लावावं...अ...अ...अ...अऽऽ...हं..अऽ||ध्रु || 
संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे.


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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - मोकळं मन...(गाण्याचा मुखडा)
माझ्या मनातलं तुला मी सांगतोय सगळं गं
वनगुरासारखं सोड तू मनाला मोकळं गं...||ध्रु||(१)
नको मागं मागं फिरु तू सारखं रं 
मोकळ्या मनाच्या लागत्याल टक्री बरऽ का रं...||ध्रु||(२)
अऽबऽबऽब  बाऽबू  तऽऽबऽऽई  तोऽऽबू
प्रेमात पडला जीव दोन पाकळ्याचा कोबू...(१)ला अनुसरून 
अऽबऽबऽब बाऽबू तऽऽबऽऽई तोऽऽबू
प्रेमात पडला जीव दोन पाकळ्याचा काजू...(२)ला अनुसरून 
संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे 
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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - टुटकर जानेवाला प्यार...
हरियाली के बहारों की फुल जैसी तू
आसपास की तितलियां तेरे साथ 
प्यार में क्या पता मेरे दिल को 
टुटकर जानेवाला हैं किसी और के हाथ...||ध्रु||
तू फुल मेरी जिंदगी का बहारों से कहूं दो बातें प्यार की
सजा दू तेरे लिये मकान कहीं बूंदे न लग जाए बारिश की
पगला ये दिल तेरे लिये करता कुदरत से बात...||१||
सर्दी के मौसम में शेड नेट जैसा स्वेटर सिला दू
दिल का इरादा कुछ कहने का लब्स कैसे निकाल सकु
प्यार में नादान ये दिल सोचता रहा सारी रात...||२||
गरमी का खयाल मेरे मन में कडी धुप में पाणी दे दू 
  तेरी सहेली जैसी पत्ती से दिल ना तोडने की बिनती कर दू       टुटकर जाने के बाद तू  सुख कर मेरे दिल को ना करना उदास...||३||
    संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे.

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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - अंतर्मुखी हृदय...
नाही सुख नाही दुख ना तहान नाही भुक
ना बरोबर नाही चूक कसं सांगू आता हृदय जाहलं अंतर्मुख 
मनापासून मनात होतंया धाक् धूक...||ध्रु||
पिरतीची ठिणगी पडल्यावर मन र्‍हाईना गेलंया भानावर
हसु उमाटलं गालावर शब्द फुटेना कुठला ओठावर
नाही धाडस ना भिती नाही कट्टी ना हट्टी
नाही काम ना सुट्टी सगळ्या योगायोगाच्या भेटी
असं काय मन भेटायला जाहलं उतावळं खूप...||१||
अशी काही चुनूक लागल्यावर डोळ्याला डोळा भिडल्यावर 
जसं काय घारीनं पिल्लु उचलल्यावर तशी अवस्था प्रेमात पडल्यावर 
नाही ताप ना थरकाप नाही पुण्य ना महापाप नाही दम
नाही धाप ना मोज नाही माप प्रेम होतं आपोआप
यापरी घडल्यावर दिसतं हृदयात पिरतीचं रुप..‌.||२||

      संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे



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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - शिवारातील दिवाळी....
रंग बिरंगी फटाक्यांनी अवकाश फुललं
वसुबारस, धनत्रयोदशी,पांडव पुजनात
जोंधळ्याची हिरवळ शोभूनी शिवारात 
जणुकाही दिपावळीचा शालू नेसूनी दिमाखात...||१||
पणती, रांगोळी, गौळणी दारी अंगणी
धनधान्य,रास भरावी मोतियांनी
आवती भोवती दरवळणार्‍या फुलांच्या सुगंधानी
दिवाळी पहाट दिसून येई ती देखणी...||२||
शिवारी दिपावळीचा पाहूनिया उत्साह
गोडधोड न् फराळाचा आवरेना मोह
इथे पोसता जीभेचे भलतेच लाड वा:ह्!
मन हे वेडे तृप्त झाले का:हो्!अ..ह्ं...||३||
पांडव पुजन करुनिया रानात
बुजगावणं उभारुन हिरव्या पिकात
पाखरांच्या ओठी हिरवळीची गाणी
सालभर पडावित आपुल्या कानी...||४||
                संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे.






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Quote by Sanjay Shinde - प्रेमाची रीत....
पावसाच्या येती सरी झरे वाहती हसून डोंगर दरी
नको नाक मुरडत जावू ही रीत -पात नाही बरी||धृ||
हिरवळ निसर्गाच्या या दारी जीव जडला या तुझवरी
तू माझ्या जीवाची दौलत न्यारी गं असं ऐकतो या आजवरी
फंच्या टाकुनिया खांद्यावरी बघण्यात दंग दुनिया सारी 
डोई भांगाची रचना भारी जणू कांदा पातीचा गादी वाफ्यावरी...||१||
वेली मांडव गुंफूनिया कुठवरी  साडीपदराला शोभूनिया रेशमी जरी
नाजूक नवेली पोरी गं तू जणू दिसतेस नव्या नवतीपरी 
कोवळ्या उन्हात सकाळच्या पारी सुगंध देई कोथिंबीरी
नदीचं पाणी वाहतया वळणावरी तसं प्रेमाचं नातं असू दे ओठावरी...||२||
सार्‍या दुनियेतल्या नरनारी गोष्ट घडलिया भल्या भल्यांच्या दरबारी
भोळ्या मनाची रीत हाय खरी गं नको जाऊस तू सोडून दुरी
माया दाटूनिया आली उरी मायेचं शब्द जपून आपुल्या अंतरी
         पावसाचं थेंब येता धरतीवरी तशी प्रेमात न्हाऊन जाई दुनिया ही सारी...||३||

संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे.


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Quote by Sanjay Shinde - हृदयी प्रेम...
वाहतोया पाण्याचा झरा मातीचा सुगंध न्यारा
पाना फुलात नवतीचा दिसतोय गं तोरा 
दोन जीवांचा जोडूनि या धागा दोरा 
प्रेमाची हिरवळ हृदयी दाटू दे जरा
सजणी तू माझी राणी गं तू सखे गं माझे प्रिये तू....||धृ||
पावसाच्या येती धारा उमटून अंग शहारा
काळजात प्रेमाचा गं करूया निवारा
 मोराचा डोई तुरा फुलवित पंख पिसारा
पार करूनि दुःखाचा गं डोंगर हा सारा
सजणी तू माझी राणी गं तू सखे गं माझे प्रिये तू....||१||
फुललाय शिवार सारा झुळुझुळु वाहतोया वारा
तू माझ्या मनातला गं लुकलुकता तारा 
पक्षी मावळतीला घरा, सगुण नार डोईवर घेऊन भारा 
तुझ्या साठी जीव गं झाला हा बावरा
सजणी तू माझी राणी गं तू सखे गं माझे प्रिये तू...||२||

संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे.














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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - वरुणा (पाऊस)नकु जाऊ दडी मारुन...
कुठं गेलास तू रं निघून, पाणावलं डोळं वाट बघून 
येळ चालली आता निघून,नकु जाव तू दडी मारुन...||ध्रु||
                           (हे वरुणा.......तू दडी मारुन)....
       श्वास इथं गेला कोंडून जगणं कठीण झालं तुला सोडून   बैल बारदाणा असा र्‍हायला पडून,गेला जवा तू  दडी मारुन ...||१||
फुलं फळं झाड जाता झडून नातं कसं सारं टाकलंय तोडून
 मुकी त्याची वाचा आलं गहिवरुन गेला जवा तू दडी मारुन...||२||
हिरवळीचं शब्द आलं तोंडून संसाराचा सारा खेळ मांडून     ढगातुन पाणी वाहू देओसांडून नकु जाव तू दडी मारुन...||३|| 
                    (हे वरुणा.. नकु जाव तू दडी मारुन)...                 संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे





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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - ऐसा निर्धार,ऐसी वज्रमुठ चाड्यावर धरिली जुळवून
जैसे पेरिलें तैसे अवघें उगविले
धन्य जाहलो आता,तयाला वरुणाचि जाहली बोळवण...||ध्रु||
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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - हिरव्या रानात..
हिरव्या हिरव्या रानात,बोरी बाभळी बनात
माहेरच्या गं नात्यात आलं आत्या भाचीचं गाणं तालात...||ध्रु||
नातं जपावं आपलं जुणं जसं सदाहरीत झाडांचं बनं
सणासुदीला गाडी घेऊन जिथं अग्निपथरथ विश्रांतीस्थान
  दृष्ट काढायला गं येती दादा वहिनी दारी अंगणात...||१||
आजीपंजी बसून ओसरीवर माया तिची नातवांवर 
ना पडला विसर आजवर ऐकून जुनाट गोष्टी वरचेवर
गाणं ऐकत राहावं गं तिच्या मायेच्या पदरात ...||२||
अंगणी काढून गं रांगोळी गोडधोड पुरणाची गं पोळी
झिम्मा फुगडी टाळीला टाळी नेसूनी साडी नि् चोळी
माहेरच्या गं नात्यात बाई गोडवा जपावा गाण्यात ...||३||
संजय शिंदे...
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Quote by Sanjay Shinde - आपल्यातल्या पंगती...
मांडीला मांडी लावून एकमेकांसंगती 
भोजनाची मैफिल रंगती
मंडपात बसल्या पंगती...||ध्रु||
द्रौणाशी चिटकून पत्रावळी
जाहल्या ओळी पुरणपोळी 
संगती वाढली कळी
सुरुवातीच्या वेळी...||१||
भात वाढण्यास भातवडी
सोबती ताकाची कडी
गुलाब जामुनची गोडी
मिठाची चिमट थोडी-थोडी...||२||
तळलेली फुगलेली गोल गोल पुरी
मध्येच काजू गर्दी करी
आमटीवरती लाल लाल तर्री
केळी खिचडी उपवासाला लाडू राजगिरी...||३||
चवळी गवार भेंडी वांग्याची भाजी
पापडी कुरोडी सोबत कांदा भजी 
शेपु -चुका,मेथी तांदूळसा,सुगंधी कोथींबीर ताजी
दुध केळीचे शिकरण त्या आधी...||४||
चपाती जोडगव्हाची खीर
दूध तूप घेतली कोशिंबीर
पापड लिंबू  आंब्याचा खार
लोणची चाखण्यास मन उत्साही फार...||५||
भातावरती मटकीची उसळ 
करण्यास तयाचि मिसळ
 बोला पुंडलिक ची न घालवता वेळ
हाताचेच केले मुसळ...||६||




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Quote by Sanjay Shinde - नको ती गोष्ट...(लावणी)
नकु त्या गोष्टीला आलंया उधाण
देणं ना घेणं तिन्ही सांजचं रीकामंच येणं जरा थांबा थोडंसं
बसा मोकळ्या मनानं...||ध्रु||
कडुश्यात पडलिया झावळ का घाई कशाला वळवळ
काढा जरा थोडीसी कळ इनवणी करतंय हृदयाचा तळ
इतक्यात कसं खुणवू डाव्या डोळ्यानं...||१||
इथं दिव्याचा मिटंना घोळ भिजली वात तेलाचा आला ओघळ
पेटना काडी भलताच अंगात चळ काय सांगून आलिया वेळ
 कशी मत्सरी केली मिनमिनत्या या दिव्यानं...||२||
नका बोलू शब्द लागंल करळ मरत्या रातीला अजून वेळ
एका ठिकाणी लावून मेळ कशाला ठेवायची ती गोष्ट अरळ
निराळच घर केलं मनात माझ्या त्या गोष्टीनं...||३||
काय हाय बेत आज निराळा कशाला कानोसा घेताय सगळा
होईल जीवाचा चुरगळा न् मुरगळा नाही की वं माझ्या मनात विचार वेगळा
 घ्यावं जी स्वतः स्वतःला नकळत सावरुनं...||४||

संकल्पना आणि लेखन:-संजय शिंदे 




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Quote by Sanjay Shinde -  वाड्यावस्तीवरचं गीत...
दीड पारगाची शाळा सुटली
शाळेची पिशवी पाष्टी घेतली
चला पोरांनो चला
दीड पारगाची शाळा सुटली...||ध्रु||
जाता येता पांदीतली वाट दुई बाजूला झाडी घनदाट
तिथं एक बोर पिकली पाचव्या हिस्स्यानं बोरं वाटून घेतली 
      भागीदारी आणेवारीची गणितं तिथंच सुटली....||१||
दीड पारगाची शाळा सुटली...||ध्रु||
मागचं उकरुन कुणी काढलं इतिहासाचं पुस्तकच उघडलं
 माहिती कधीची होती कुठली वाचताना खात्री पटली
इतिहास विषयाची समसमच मिटली...||२||
दीड पारगाची शाळा सुटली...||ध्रु||
काना मात्रा वेलांटी उकार मातृभाषेचा सोपा सार
अशी ती व्याकरणातली भाषा ही मुळात आपली
समजून उमजून सगळी घेतली ....||३||
दीड पारगाची शाळा सुटली...||ध्रु||
कुणाला किती तार्किक ज्ञान विचारात घेऊन विज्ञान
शोध लावायला जागा कुठली काय तरी युक्ती सुचली
विचार करून सार्‍या डोक्याची केसं पिकली..||४||
दीड पारगाची शाळा सुटली...||ध्रु|| 







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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - आडमुठं गाणं....
जीव लावून मनापासूनी
नाही बोलत बचकत घेऊन पाणी
तुझ्या मागं फिरून जीव झाला
जणू काय म्हशीनं तुडवलेल्या चिपाडावानी..||ध्रु||(१)(पुरुष)
नकु जुळवूस रांगड्या म्हणी
भलत्याच गोष्टी नको आणूस ध्यानी
आई तर म्हणतेय तुम्हादोघांचा जोडा 
जणू कायआंबाड्यात करडई मिसळल्यावानी.||ध्रु||(२)(स्त्री)
 जीव लावणं असंच असतं गं बाई
विश्वासाचा धागा जुळला जाई
मग वाघाचं वाघपण निराळंच नाही...(१)(पुरुष)
प्रेमात पडणं साधं सोपं नाही
संकट आल्यावर खेटून जाई
पण वाघ शिकार करणार नाही...(१)(स्त्री)
अशा बोलण्यानं धराण फुटंल गं पोरी
नकू ढवळूस धरणाचं पाणी...||१||..‌.(१)(पुरुष)
का चेहरा तुझा गं सुकल्यावानी
दोघं बी एकाच माळंचं मनी
त्यात ओवायला नाही कुणी...(२)(पुरुष)
कर्तव्याची घाई ही भुतावानी
उचलली जीभ अशी टाळ्याला लावूनी
उर भरून येतोय माझा रं आश्रुंनी...(२)(स्त्री)
नकु ढाळूस अश्रू गं बाई
गोळा होईल साता समुद्राचं पाणी...||२||(पुरुष)
म्हणून रीत -मारुग हा मळून
दुध पोळल्यावर आलंया कळून
जो तो ताक पण पितोया कोळून...(३)(पुरुष)
नको जायला कुठं पळून
रेशीमगाठी येतील जुळून
नको  पाहायला लावूस माघारी वळून...(३)(स्त्री)
चिंता करू नको गं बाई
जणू काय वासरातल्या लंगड्या गायीवानी...||३||(पुरुष)
(सामाजिक ग्रामीण, आतिशोक्तीपुर्ण,विनोदी)
संकल्पना आणि लेखन:-संजय बबन शिंदे.
























संजय शिंदे
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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde - आडमुठं गाणं

जीव लावून मनापासूनी
नाही बोलत बचकत घेऊन पाणी
तुझ्या मागं फिरून जीव झाला
जणू काय म्हशीनं तुडवलेल्या चिपाडावानी...||ध्रु||(१) (पुरुष)
नकु जुळवूस रांगड्या म्हणी
भलत्याच गोष्टी नको आणूस ध्यानी
आई तर म्हणतेय तुम्हादोघांचा जोडा
जणू काय आंबाड्यात करडई मिसळल्यावानी...||ध्रु||(२)
 (स्त्री)
जीव लावणं असंच असतं गं बाई
विश्वासाचा धागा जुळला जाई
मग वाघाचं वाघपण निराळंच नाही...(१)(पुरुष)
प्रेमात पडणं साधं सोपं नाही
संकट आल्यावर खेटून जाई
पण वाघ शिकार करणार नाही...(१)(स्त्री)
अशा बोलण्यानं धराण फुटंल गं पोरी
नकू ढवळूस धरणाचं पाणी...||१||..‌.(१)(पुरुष)
का चेहरा तुझा गं सुकल्यावानी
दोघं बी एकाच माळंचं मनी
त्यात ओवायला नाही कुणी...(२)(पुरुष)
कर्तव्याची घाई ही भुतावानी
उचलली जीभ अशी टाळ्याला लावूनी
उर भरून येतोय माझा रं आश्रुंनी...(२)(स्त्री)
नकु ढाळूस अश्रू गं बाई
गोळा होईल साता समुद्राचं पाणी...||२||(पुरुष)
म्हणून रीत -मारुग हा मळून
दुध पोळल्यावर आलंया कळून
जो तो ताक पण पितोया कोळून...(३)(पुरुष)
नको जायला कुठं पळून
रेशीमगाठी येतील जुळून
नको  पाहायला लावूस माघारी वळून...(३)(स्त्री)
चिंता करू नको गं बाई
जणू काय वासरातल्या लंगड्या गायीवानी...||३||(पुरुष)

(सामाजिक ग्रामीण, आतिशोक्तीपुर्ण,विनोदी)
























संजय शिंदे
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Sanjay Shinde
Quote by Sanjay Shinde -     नवी पालवी

तिळातिळानं सुर्याचं ऊन वाढलं झळयांची रखरख सुरु झाली
चढत्या उन्हाची ऊब घेऊन झाडे-झुडपे पानगळीला आली
चैती पालवी फुलून आली...||ध्रु||
पानगळीचा जुनाट पोषाख मातीला दान देऊ  लागली
चैती पालवीचा नवा आहेर होणार असं सांगू लागली
वाळलेली शेंग चाळ बांधून नाचू लागली
पिकली पाने गळून नवी पालवी फुटून आली...||१||
चैती पालवीची ही नवती नटलेल्या नव्या नवरीवानी
फुलपाखरे मधमाशी भुंगे फिरताना भोवती कुरवल्यावानी
जणू येती-जातीला माहेरी यावी लक्ष्मीवानी
पिवळ्या चुटूक रुपानं बहरुन आली या माळरानी...||२||
चैती पालवी निसर्ग सौंदर्याची अशी ही खाण
नऊवारी शालू नेसवाया आतूरलं हिरवं पान
फुल मोहोराच्या दरवळत्या सुगंधानं न्हाहलं रान
हिरवळीच्या दाटीवाटीतून ऐकू येई रान पाखरांचं जीवनगान...||३||



संजय बबन शिंदे. - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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