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Quote by Allah da bandah - Ayat Dated  :- 26/12/20247

Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 160 

وَ قَطَّعۡنٰہُمُ اثۡنَتَیۡ عَشۡرَۃَ  اَسۡبَاطًا اُمَمًا ؕ وَ  اَوۡحَیۡنَاۤ  اِلٰی مُوۡسٰۤی  اِذِ  اسۡتَسۡقٰىہُ قَوۡمُہٗۤ  اَنِ اضۡرِبۡ بِّعَصَاکَ الۡحَجَرَ ۚ فَانۡۢبَجَسَتۡ مِنۡہُ اثۡنَتَا عَشۡرَۃَ عَیۡنًا ؕ قَدۡ عَلِمَ کُلُّ اُنَاسٍ مَّشۡرَبَہُمۡ ؕ وَ ظَلَّلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡغَمَامَ وَ اَنۡزَلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡمَنَّ وَ السَّلۡوٰی ؕ کُلُوۡا مِنۡ طَیِّبٰتِ مَا رَزَقۡنٰکُمۡ ؕ وَ مَا ظَلَمُوۡنَا وَ لٰکِنۡ  کَانُوۡۤا  اَنۡفُسَہُمۡ یَظۡلِمُوۡنَ ﴿۱۶۰﴾


"Description of the Ayat in Hindi [Tahfeem ul quran ( Modudi)]"

हाशिया-118 इशारा है बनी-इसराईल की उस तंज़ीम (संगठन) की तरफ़ जो सूरा-5 माइदा, आयत-12 में बयान हुई है और जिसकी पूरी तफ़सील बाइबल की किताब गिनती में मिलती है। इससे मालूम होता है कि हज़रत मूसा (अलैहि०) ने अल्लाह के हुक्म से सीना पहाड़ के जंगल में बनी-इसराईल की मर्दुम-शुमारी (जनगणना) कराई, फिर उनके 12 घरानों को जो हज़रत याक़ूब के दस बेटों और हज़रत यूसुफ़ के दो बेटों की नस्ल से थे, अलग-अलग गरोहों की शक्ल में मुनज़्ज़म (संगठित) किया, और हर गरोह पर एक-एक सरदार मुक़र्रर किया ताकि वो उनके अन्दर अख़लाक़ी, मज़हबी, सामाजिक और फ़ौजी हैसियत से नज़्म (अनुशासन) क़ायम रखे और शरीअत के हुक्मों को लागू करता रहे। और हज़रत याक़ूब के बारहवों बेटे लावी की औलाद को जिसकी नस्ल से हज़रत मूसा और हारून थे, एक अलग जमाअत की शक्ल में मुनज़्ज़म किया ताकि वो उन सब क़बीलों के बीच हक़ (सत्य) का दीप जलाए रखने की ख़िदमत अंजाम देती रहे। हाशिया-119 ऊपर जिस तंज़ीम (संगठन) का ज़िक्र किया गया है उसमें वो उन एहसानों में से एक थी जो अल्लाह ने बनी-इसराईल पर किए। इसके बाद अब और तीन एहसानों का ज़िक्र किया गया है। एक ये कि प्रायद्वीप सीना के रेगिस्तानी इलाक़े में उनके लिये पानी पहुँचाने का ग़ैर-मामूली इन्तिज़ाम किया गया। दूसरा ये कि उनके लिये ख़ुराक (खाद्य-सामग्री) पहुँचाने का ग़ैर-मामूली इन्तिज़ाम मन्न व सलवा उतारने की शक्ल में किया गया। ज़ाहिर है कि अगर ज़िन्दगी की इस तीन सबसे अहम ज़रूरतों का बन्दोबस्त न किया जाता तो ये क़ौम जिसकी तादाद कई लाख तक पहुँची हुई थी, उस इलाक़े में भूख-प्यास से बिलकुल ख़त्म हो जाती। आज भी कोई शख़्स वहाँ जाए तो ये देखकर हैरान रह जाएगा कि अगर यहाँ पन्द्रह-बीस लाख आदमियों का एक बड़ा ही शानदार क़ाफ़िला अचानक आ ठहरे तो उसके लिये पानी, खाने और साए का आख़िर क्या इन्तिज़ाम हो सकता है। मौजूदा ज़माने में पूरे प्रायद्वीप की आबादी 55 हज़ार से ज़्यादा नहीं है और आज इस इक्कीसवीं सदी में भी अगर कोई हुकूमत वहाँ पाँच-छ: लाख फ़ौज ले जाना चाहे तो उसका इन्तिज़ाम संभालनेवालों को खाने-पीने की चीज़ें मुहय्या कराने की फ़िक्र में सिर दर्द हो जाएगा। यही वजह है कि मौजूदा ज़माने के बहुत-से तहक़ीक़ात करनेवालों ने, जो न आसमानी किताब को मानते हैं और न मोजिजों को तस्लीम करते हैं ये मानने से इनकार कर दिया है कि बनी-इसराईल सीना के प्रायद्वीप के उस हिस्से से गुज़रे होंगे जिसका ज़िक्र बाइबल और क़ुरआन में हुआ है। उनका गुमान है कि शायद ये वाक़िआत फ़िलस्तीन के दक्षिणी और अरब के उत्तरी हिस्से में पेश आए होंगे। प्रायद्वीप सीना के क़ुदरती और मआशी भौगोलिक हालात को देखते हुए वो इस बात को तसव्वुर से बिलकुल परे समझते हैं कि इतनी बड़ी क़ौम यहाँ सालों एक-एक जगह पड़ाव करती हुई गुज़र सकी थी, ख़ास तौर से जबकि मिस्र की तरफ़ से उसकी रसद (खाद्य-सामग्री) के आने का रास्ता भी कटा हुआ था और दूसरी तरफ़ ख़ुद उस प्रायद्वीप के पूरब और उत्तर में अमालिक़ा के क़बीले उसको रोकने पर आमादा थे। इन बातों को सामने रखने से सही तौर पर अन्दाज़ा किया जा सकता है कि इन कुछ मुख़्तसर आयतों में अल्लाह ने बनी-इसराईल पर अपने जिन एहसानों का ज़िक्र किया है वो हक़ीक़त में कितने बड़े एहसान थे, और उसके बाद ये कितनी बड़ी एहसान-फ़रामोशी और नाशुक्री थी कि अल्लाह की मेहरबानियों की ऐसी खुली और साफ़ निशानियाँ देख लेने के बाद भी ये क़ौम लगातार उन नाफ़रमानियों और ग़द्दारियों को करती रही जिनसे उसकी तारीख़ (इतिहास) भरी पड़ी है। (तक़ाबुल के लिये देखें – सूरा-2, बक़रा, हाशिया-72, 73 और 76)

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Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 160 

وَ قَطَّعۡنٰہُمُ اثۡنَتَیۡ عَشۡرَۃَ  اَسۡبَاطًا اُمَمًا ؕ وَ  اَوۡحَیۡنَاۤ  اِلٰی مُوۡسٰۤی  اِذِ  اسۡتَسۡقٰىہُ قَوۡمُہٗۤ  اَنِ اضۡرِبۡ بِّعَصَاکَ الۡحَجَرَ ۚ فَانۡۢبَجَسَتۡ مِنۡہُ اثۡنَتَا عَشۡرَۃَ عَیۡنًا ؕ قَدۡ عَلِمَ کُلُّ اُنَاسٍ مَّشۡرَبَہُمۡ ؕ وَ ظَلَّلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡغَمَامَ وَ اَنۡزَلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡمَنَّ وَ السَّلۡوٰی ؕ کُلُوۡا مِنۡ طَیِّبٰتِ مَا رَزَقۡنٰکُمۡ ؕ وَ مَا ظَلَمُوۡنَا وَ لٰکِنۡ  کَانُوۡۤا  اَنۡفُسَہُمۡ یَظۡلِمُوۡنَ ﴿۱۶۰﴾

"Translation in Hindi"

और हमने उस क़ौम को बारह घरानों में बाँटकर उन्हें मुस्तक़िल गरोहों की शकल दे दी थी। [ 118] और जब मूसा से उसकी क़ौम ने पानी माँगा तो हमने उसको इशारा किया कि फ़ुलाँ चट्टान पर अपनी लाठी मारो, चुनाँचे उस चट्टान के यकायक बारह सोते फूट निकले और हर गरोह ने अपने पानी लेने की जगह तय कर ली। हमने उनपर बादल का साया किया और उनपर मन्न और सलवा उतारा [ 119] -खाओ वो पाक चीज़ें जो हमने तुमको दी हैं, मगर इसके बाद उन्होंने जो कुछ किया तो हमपर ज़ुल्म नहीं किया, बल्कि आप अपने ही ऊपर ज़ुल्म करते रहे।

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Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 160 

وَ قَطَّعۡنٰہُمُ اثۡنَتَیۡ عَشۡرَۃَ  اَسۡبَاطًا اُمَمًا ؕ وَ  اَوۡحَیۡنَاۤ  اِلٰی مُوۡسٰۤی  اِذِ  اسۡتَسۡقٰىہُ قَوۡمُہٗۤ  اَنِ اضۡرِبۡ بِّعَصَاکَ الۡحَجَرَ ۚ فَانۡۢبَجَسَتۡ مِنۡہُ اثۡنَتَا عَشۡرَۃَ عَیۡنًا ؕ قَدۡ عَلِمَ کُلُّ اُنَاسٍ مَّشۡرَبَہُمۡ ؕ وَ ظَلَّلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡغَمَامَ وَ اَنۡزَلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡمَنَّ وَ السَّلۡوٰی ؕ کُلُوۡا مِنۡ طَیِّبٰتِ مَا رَزَقۡنٰکُمۡ ؕ وَ مَا ظَلَمُوۡنَا وَ لٰکِنۡ  کَانُوۡۤا  اَنۡفُسَہُمۡ یَظۡلِمُوۡنَ ﴿۱۶۰﴾

"Translation in Roman Urdu"

aur hum ney unn ko ( yani bani Israel ko ) baara khandano mein iss tarah taqseem kerdiya tha kay woh alag alag ( intizami ) jamaton ki soorat ikhtiyar ker gaye thay . aur jab musa ki qoam ney unn say paani maanga to hum ney unn ko wahi kay zariye hukum diya kay apni laathi falan pathar per maaro . chunacheh uss pathar say baara chashmay phoot parray . her khandan ko apni paani peenay ki jagah maloom hogaee . aur hum ney unn ko badal ka saya diya , aur hum ney unn per mann-o-salwa ( yeh keh ker ) utaara kay : khao woh pakeezah rizq jo hum ney tumhen diya hai . aur ( iss kay bawajood unhon ney jo nashukri ki to ) unhon ney humara koi nuqsan nahi kiya , balkay woh khud apni janon per zulm kertay rahey . 

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Surat No 7 : سورة الأعراف 
- Ayat No 160 

وَ قَطَّعۡنٰہُمُ اثۡنَتَیۡ عَشۡرَۃَ  اَسۡبَاطًا اُمَمًا ؕ وَ  اَوۡحَیۡنَاۤ  اِلٰی مُوۡسٰۤی  اِذِ  اسۡتَسۡقٰىہُ قَوۡمُہٗۤ  اَنِ اضۡرِبۡ بِّعَصَاکَ الۡحَجَرَ ۚ فَانۡۢبَجَسَتۡ مِنۡہُ اثۡنَتَا عَشۡرَۃَ عَیۡنًا ؕ قَدۡ عَلِمَ کُلُّ اُنَاسٍ مَّشۡرَبَہُمۡ ؕ وَ ظَلَّلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡغَمَامَ وَ اَنۡزَلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡمَنَّ وَ السَّلۡوٰی ؕ کُلُوۡا مِنۡ طَیِّبٰتِ مَا رَزَقۡنٰکُمۡ ؕ وَ مَا ظَلَمُوۡنَا وَ لٰکِنۡ  کَانُوۡۤا  اَنۡفُسَہُمۡ یَظۡلِمُوۡنَ ﴿۱۶۰﴾

"Translation in English"

And We divided them into twelve descendant tribes [as distinct] nations. And We inspired to Moses when his people implored him for water, "Strike with your staff the stone," and there gushed forth from it twelve springs. Every people knew its watering place. And We shaded them with clouds and sent down upon them manna and quails, [saying], "Eat from the good things with which We have provided you." And they wronged Us not, but they were [only] wronging themselves. 

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Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 160 

وَ قَطَّعۡنٰہُمُ اثۡنَتَیۡ عَشۡرَۃَ  اَسۡبَاطًا اُمَمًا ؕ وَ  اَوۡحَیۡنَاۤ  اِلٰی مُوۡسٰۤی  اِذِ  اسۡتَسۡقٰىہُ قَوۡمُہٗۤ  اَنِ اضۡرِبۡ بِّعَصَاکَ الۡحَجَرَ ۚ فَانۡۢبَجَسَتۡ مِنۡہُ اثۡنَتَا عَشۡرَۃَ عَیۡنًا ؕ قَدۡ عَلِمَ کُلُّ اُنَاسٍ مَّشۡرَبَہُمۡ ؕ وَ ظَلَّلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡغَمَامَ وَ اَنۡزَلۡنَا عَلَیۡہِمُ الۡمَنَّ وَ السَّلۡوٰی ؕ کُلُوۡا مِنۡ طَیِّبٰتِ مَا رَزَقۡنٰکُمۡ ؕ وَ مَا ظَلَمُوۡنَا وَ لٰکِنۡ  کَانُوۡۤا  اَنۡفُسَہُمۡ یَظۡلِمُوۡنَ ﴿۱۶۰﴾

"Translation in Urdu"

اور ہم نے ان کو بارہ خاندانوں میں تقسیم کرکے سب کی  الگ  الگ  جماعت   مقرر  کردی اور ہم نے موسیٰ ( علیہ السلام ) کو  حکم  دیا جب کہ ان کی قوم نے ان سے  پانی  مانگا کہ اپنے عصا کو فلاں  پتھر  پر مارو پس فوراً اس سے بارہ چشمے پھوٹ نکلے ۔ ہر ہر شخص نے اپنے  پانی  پینے کا موقع معلوم کر لیا ۔ اور ہم نے ان پر ابر کو سایہ فگن کیا اور ان کو من و سلوٰی ( ترنجبین اور بٹیر یں ) پہنچائیں ، کھاؤ نفیس چیزوں سے جو کہ ہم نے تم کو دی ہیں اور انہوں نے ہمارا کوئی  نقصان  نہیں کیا لیکن اپنا ہی  نقصان  کرتے تھے ۔ 

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Thursday ,  Morning. 

Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 22 

فَدَلّٰىہُمَا بِغُرُوۡرٍ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَۃَ بَدَتۡ لَہُمَا سَوۡاٰتُہُمَا وَ طَفِقَا یَخۡصِفٰنِ عَلَیۡہِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَنَّۃِ ؕ وَ نَادٰىہُمَا رَبُّہُمَاۤ  اَلَمۡ اَنۡہَکُمَا عَنۡ تِلۡکُمَا الشَّجَرَۃِ  وَ اَقُلۡ لَّکُمَاۤ  اِنَّ الشَّیۡطٰنَ لَکُمَا عَدُوٌّ مُّبِیۡنٌ ﴿۲۲﴾

"Translation in Hindi"

इस तरह धोखा देकर वो उन दोनों को धीरे-धीरे अपने ढब पर ले आया। आख़िरकार जब उन्होंने उस पेड़ का मज़ा चखा तो उनके सतर [ गुप्तांग] एक-दूसरे के सामने खुल गए और वो अपने जिस्मों को जन्नत के पत्तों से ढाँकने लगे। तब उनके रब ने उन्हें पुकारा, “क्या मैंने तुम्हें इस पेड़ से न रोका था और न कहा था कि शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है?”

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Thursday ,  Morning. 

Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 22 

فَدَلّٰىہُمَا بِغُرُوۡرٍ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَۃَ بَدَتۡ لَہُمَا سَوۡاٰتُہُمَا وَ طَفِقَا یَخۡصِفٰنِ عَلَیۡہِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَنَّۃِ ؕ وَ نَادٰىہُمَا رَبُّہُمَاۤ  اَلَمۡ اَنۡہَکُمَا عَنۡ تِلۡکُمَا الشَّجَرَۃِ  وَ اَقُلۡ لَّکُمَاۤ  اِنَّ الشَّیۡطٰنَ لَکُمَا عَدُوٌّ مُّبِیۡنٌ ﴿۲۲﴾

"Translation in Roman Urdu"

iss tarah uss ney dono ko dhoka dey ker neechay utaar hi liya . chunacheh jab dono ney uss darkht ka maza chakha to unn dono ki sharam ki jaghen aik doosray per khul gaeen , aur woh jannat kay kuch pattay jorr jorr ker apney badan per chipkaney lagay . aur unn kay perwerdigar ney unhen aawaz di kay : kiya mein ney tum dono ko uss darkht say roka nahi tha , aur tum say yeh nahi kaha tha kay shetan tum dono ka khula dushman hai ? 

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Thursday ,  Morning. 

Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 22 

فَدَلّٰىہُمَا بِغُرُوۡرٍ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَۃَ بَدَتۡ لَہُمَا سَوۡاٰتُہُمَا وَ طَفِقَا یَخۡصِفٰنِ عَلَیۡہِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَنَّۃِ ؕ وَ نَادٰىہُمَا رَبُّہُمَاۤ  اَلَمۡ اَنۡہَکُمَا عَنۡ تِلۡکُمَا الشَّجَرَۃِ  وَ اَقُلۡ لَّکُمَاۤ  اِنَّ الشَّیۡطٰنَ لَکُمَا عَدُوٌّ مُّبِیۡنٌ ﴿۲۲﴾

"Translation in English"

So he made them fall, through deception. And when they tasted of the tree, their private parts became apparent to them, and they began to fasten together over themselves from the leaves of Paradise. And their Lord called to them, "Did I not forbid you from that tree and tell you that Satan is to you a clear enemy?" 

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Thursday ,  Morning. 

Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 22 

فَدَلّٰىہُمَا بِغُرُوۡرٍ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَۃَ بَدَتۡ لَہُمَا سَوۡاٰتُہُمَا وَ طَفِقَا یَخۡصِفٰنِ عَلَیۡہِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَنَّۃِ ؕ وَ نَادٰىہُمَا رَبُّہُمَاۤ  اَلَمۡ اَنۡہَکُمَا عَنۡ تِلۡکُمَا الشَّجَرَۃِ  وَ اَقُلۡ لَّکُمَاۤ  اِنَّ الشَّیۡطٰنَ لَکُمَا عَدُوٌّ مُّبِیۡنٌ ﴿۲۲﴾

"Translation in English"

So he made them fall, through deception. And when they tasted of the tree, their private parts became apparent to them, and they began to fasten together over themselves from the leaves of Paradise. And their Lord called to them, "Did I not forbid you from that tree and tell you that Satan is to you a clear enemy?" 

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Thursday ,  Morning. 

Surat No 7 : سورة الأعراف 
- Ayat No 22 

فَدَلّٰىہُمَا بِغُرُوۡرٍ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَۃَ بَدَتۡ لَہُمَا سَوۡاٰتُہُمَا وَ طَفِقَا یَخۡصِفٰنِ عَلَیۡہِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَنَّۃِ ؕ وَ نَادٰىہُمَا رَبُّہُمَاۤ  اَلَمۡ اَنۡہَکُمَا عَنۡ تِلۡکُمَا الشَّجَرَۃِ  وَ اَقُلۡ لَّکُمَاۤ  اِنَّ الشَّیۡطٰنَ لَکُمَا عَدُوٌّ مُّبِیۡنٌ ﴿۲۲﴾

"Translation in Urdu"

سو ان دونوں کو فریب سے  نیچے  لے آیا پس ان دونوں نے جب  درخت  کو چکھا دونوں کی شرمگاہیں ایک دوسرے کے روبرو بے  پردہ  ہوگئیں اور دونوں اپنے اوپر  جنت  کے پتے جوڑ جوڑ کر رکھنے لگے اور ان کے رب نے ان کو پکارا کیا میں تم دونوں کو اس  درخت  سے منع نہ کر چکا تھا اور یہ نہ کہہ چکا کہ شیطان تمہارا صریح  دشمن  ہے ، 

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Dated  :- 26/122024
Wednesday,  Morning. 

Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 22 

فَدَلّٰىہُمَا بِغُرُوۡرٍ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَۃَ بَدَتۡ لَہُمَا سَوۡاٰتُہُمَا وَ طَفِقَا یَخۡصِفٰنِ عَلَیۡہِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَنَّۃِ ؕ وَ نَادٰىہُمَا رَبُّہُمَاۤ  اَلَمۡ اَنۡہَکُمَا عَنۡ تِلۡکُمَا الشَّجَرَۃِ  وَ اَقُلۡ لَّکُمَاۤ  اِنَّ الشَّیۡطٰنَ لَکُمَا عَدُوٌّ مُّبِیۡنٌ ﴿۲۲﴾

"Translation in Hindi"

इस तरह धोखा देकर वो उन दोनों को धीरे-धीरे अपने ढब पर ले आया। आख़िरकार जब उन्होंने उस पेड़ का मज़ा चखा तो उनके सतर [ गुप्तांग] एक-दूसरे के सामने खुल गए और वो अपने जिस्मों को जन्नत के पत्तों से ढाँकने लगे। तब उनके रब ने उन्हें पुकारा, “क्या मैंने तुम्हें इस पेड़ से न रोका था और न कहा था कि शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है?”

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Dated  :- 26/122024
Wednesday,  Morning. 

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 - Ayat No 22 

فَدَلّٰىہُمَا بِغُرُوۡرٍ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَۃَ بَدَتۡ لَہُمَا سَوۡاٰتُہُمَا وَ طَفِقَا یَخۡصِفٰنِ عَلَیۡہِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَنَّۃِ ؕ وَ نَادٰىہُمَا رَبُّہُمَاۤ  اَلَمۡ اَنۡہَکُمَا عَنۡ تِلۡکُمَا الشَّجَرَۃِ  وَ اَقُلۡ لَّکُمَاۤ  اِنَّ الشَّیۡطٰنَ لَکُمَا عَدُوٌّ مُّبِیۡنٌ ﴿۲۲﴾

"Translation in Roman Urdu"

iss tarah uss ney dono ko dhoka dey ker neechay utaar hi liya . chunacheh jab dono ney uss darkht ka maza chakha to unn dono ki sharam ki jaghen aik doosray per khul gaeen , aur woh jannat kay kuch pattay jorr jorr ker apney badan per chipkaney lagay . aur unn kay perwerdigar ney unhen aawaz di kay : kiya mein ney tum dono ko uss darkht say roka nahi tha , aur tum say yeh nahi kaha tha kay shetan tum dono ka khula dushman hai ? 

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Dated  :- 26/122024
Wednesday,  Morning. 

Surat No 7 : سورة الأعراف
 - Ayat No 22 

فَدَلّٰىہُمَا بِغُرُوۡرٍ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَۃَ بَدَتۡ لَہُمَا سَوۡاٰتُہُمَا وَ طَفِقَا یَخۡصِفٰنِ عَلَیۡہِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَنَّۃِ ؕ وَ نَادٰىہُمَا رَبُّہُمَاۤ  اَلَمۡ اَنۡہَکُمَا عَنۡ تِلۡکُمَا الشَّجَرَۃِ  وَ اَقُلۡ لَّکُمَاۤ  اِنَّ الشَّیۡطٰنَ لَکُمَا عَدُوٌّ مُّبِیۡنٌ ﴿۲۲﴾

"Translation in English"

So he made them fall, through deception. And when they tasted of the tree, their private parts became apparent to them, and they began to fasten together over themselves from the leaves of Paradise. And their Lord called to them, "Did I not forbid you from that tree and tell you that Satan is to you a clear enemy?" 

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Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 26/122024
Wednesday,  Morning. 

Surat No 7 : سورة الأعراف 
- Ayat No 22 

فَدَلّٰىہُمَا بِغُرُوۡرٍ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَۃَ بَدَتۡ لَہُمَا سَوۡاٰتُہُمَا وَ طَفِقَا یَخۡصِفٰنِ عَلَیۡہِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَنَّۃِ ؕ وَ نَادٰىہُمَا رَبُّہُمَاۤ  اَلَمۡ اَنۡہَکُمَا عَنۡ تِلۡکُمَا الشَّجَرَۃِ  وَ اَقُلۡ لَّکُمَاۤ  اِنَّ الشَّیۡطٰنَ لَکُمَا عَدُوٌّ مُّبِیۡنٌ ﴿۲۲﴾

"Translation in Urdu"

سو ان دونوں کو فریب سے  نیچے  لے آیا پس ان دونوں نے جب  درخت  کو چکھا دونوں کی شرمگاہیں ایک دوسرے کے روبرو بے  پردہ  ہوگئیں اور دونوں اپنے اوپر  جنت  کے پتے جوڑ جوڑ کر رکھنے لگے اور ان کے رب نے ان کو پکارا کیا میں تم دونوں کو اس  درخت  سے منع نہ کر چکا تھا اور یہ نہ کہہ چکا کہ شیطان تمہارا صریح  دشمن  ہے ، 

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Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 25/12/2024
Tuesday, Evening. 

Surat No 27 : سورة النمل - Ayat No 88 

وَ تَرَی الۡجِبَالَ تَحۡسَبُہَا جَامِدَۃً  وَّ  ہِیَ تَمُرُّ مَرَّ السَّحَابِ ؕ صُنۡعَ اللّٰہِ  الَّذِیۡۤ اَتۡقَنَ کُلَّ شَیۡءٍ ؕ اِنَّہٗ  خَبِیۡرٌۢ  بِمَا تَفۡعَلُوۡنَ ﴿۸۸﴾


"Description of the Ayat in Hindi [Tahfeem ul quran ( Modudi)]"

हाशिया-107 यानी ऐसे ख़ुदा से तुम ये उम्मीद न रखो कि अपनी दुनिया में तुमको अक़ल और तमीज़ और इस्तेमाल करने के इख़्तियारात देकर वो तुम्हारे कामों से बेख़बर रहेगा और ये न देखेगा कि उसकी ज़मीन में तुम उन इख़्तियारों को कैसे इस्तेमाल करते रहे हो।

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 25/12/2024
Tuesday, Evening. 

Surat No 27 : سورة النمل - Ayat No 88 

وَ تَرَی الۡجِبَالَ تَحۡسَبُہَا جَامِدَۃً  وَّ  ہِیَ تَمُرُّ مَرَّ السَّحَابِ ؕ صُنۡعَ اللّٰہِ  الَّذِیۡۤ اَتۡقَنَ کُلَّ شَیۡءٍ ؕ اِنَّہٗ  خَبِیۡرٌۢ  بِمَا تَفۡعَلُوۡنَ ﴿۸۸﴾

"Translation in Hindi"

आज तू पहाड़ों को देखता है और समझता है कि ख़ूब जमे हुए हैं, मगर उस वक़्त ये बादलों की तरह उड़ रहे होंगे। ये अल्लाह की क़ुदरत का करिश्मा होगा जिसने हर चीज़ को हिकमत के साथ क़ायम किया है। वो ख़ूब जानता है कि तुम लोग क्या करते हो।(107)

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 25/12/2024
Tuesday, Evening. 

Surat No 27 : سورة النمل
 - Ayat No 88 

وَ تَرَی الۡجِبَالَ تَحۡسَبُہَا جَامِدَۃً  وَّ  ہِیَ تَمُرُّ مَرَّ السَّحَابِ ؕ صُنۡعَ اللّٰہِ  الَّذِیۡۤ اَتۡقَنَ کُلَّ شَیۡءٍ ؕ اِنَّہٗ  خَبِیۡرٌۢ  بِمَا تَفۡعَلُوۡنَ ﴿۸۸﴾

"Translation in Roman Urdu"

tum ( aaj ) paharon ko dekhtay ho to samajhtay ho kay yeh apni jagah jamay huye hain , halankay ( uss waqt ) woh iss tarah phir rahey hon gay jaisay badal phirtay hain . yeh sabb Allah ki karigari hai jiss ney her cheez ko mustehkam tareeqay say banaya hai . yaqeenan ussay poori khabar hai kay tum kiya kaam kertay ho . 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 25/12/2024
Tuesday, Evening. 

Surat No 27 : سورة النمل 
- Ayat No 88 

وَ تَرَی الۡجِبَالَ تَحۡسَبُہَا جَامِدَۃً  وَّ  ہِیَ تَمُرُّ مَرَّ السَّحَابِ ؕ صُنۡعَ اللّٰہِ  الَّذِیۡۤ اَتۡقَنَ کُلَّ شَیۡءٍ ؕ اِنَّہٗ  خَبِیۡرٌۢ  بِمَا تَفۡعَلُوۡنَ ﴿۸۸﴾

"Translation in English"

And you see the mountains, thinking them rigid, while they will pass as the passing of clouds. [It is] the work of Allah , who perfected all things. Indeed, He is Acquainted with that which you do. 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 25/12/2024
Tuesday, Evening. 

Surat No 27 : سورة النمل
 - Ayat No 88 

وَ تَرَی الۡجِبَالَ تَحۡسَبُہَا جَامِدَۃً  وَّ  ہِیَ تَمُرُّ مَرَّ السَّحَابِ ؕ صُنۡعَ اللّٰہِ  الَّذِیۡۤ اَتۡقَنَ کُلَّ شَیۡءٍ ؕ اِنَّہٗ  خَبِیۡرٌۢ  بِمَا تَفۡعَلُوۡنَ ﴿۸۸﴾

"Translation in Urdu"

اور آپ پہاڑوں کو دیکھ کر اپنی  جگہ  جمے ہوئے خیال کرتے ہیں لیکن وہ بھی  بادل  کی طرح اڑتے پھریں گے یہ ہے صنعت اللہ کی جس نے ہرچیز کو  مضبوط  بنایا ہے جو کچھ تم کرتے ہو اس سے وہ باخبر ہے ۔ 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 25/12/2024
Tuesday, Morning 

Surat No 2 : سورة البقرة 
- Ayat No 74 

ثُمَّ قَسَتۡ قُلُوۡبُکُمۡ مِّنۡۢ بَعۡدِ ذٰلِکَ فَہِیَ کَالۡحِجَارَۃِ اَوۡ اَشَدُّ قَسۡوَۃً  ؕ وَ  اِنَّ مِنَ الۡحِجَارَۃِ لَمَا یَتَفَجَّرُ  مِنۡہُ الۡاَنۡہٰرُ  ؕ وَ اِنَّ مِنۡہَا لَمَا یَشَّقَّقُ فَیَخۡرُجُ مِنۡہُ الۡمَآءُ  ؕ وَ اِنَّ مِنۡہَا لَمَا یَہۡبِطُ مِنۡ خَشۡیَۃِ اللّٰہِ   ؕوَ مَا اللّٰہُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۷۴﴾

"Translation in Hindi"

–मगर ऐसी निशानियाँ देखने के बाद भी आख़िरकार तुम्हारे दिल सख़्त हो गए, पत्थरों की तरह सख़्त, बल्कि सख़्ती में कुछ उनसे भी बढ़े हुए, क्योंकि पत्थरों में से तो कोई ऐसा भी होता है जिसमें से चश्मे [ सोते] फूट बहते हैं, कोई फटता है और उसमें से पानी निकल आता है, और कोई ख़ुदा के डर से काँपकर गिर भी पड़ता है। अल्लाह तुम्हारे करतूतों से बेख़बर नहीं है।

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
 Dated  :- 25/12/2024
Wednesday, Morning 

Surat No 2 : سورة البقرة 
- Ayat No 74 

ثُمَّ قَسَتۡ قُلُوۡبُکُمۡ مِّنۡۢ بَعۡدِ ذٰلِکَ فَہِیَ کَالۡحِجَارَۃِ اَوۡ اَشَدُّ قَسۡوَۃً  ؕ وَ  اِنَّ مِنَ الۡحِجَارَۃِ لَمَا یَتَفَجَّرُ  مِنۡہُ الۡاَنۡہٰرُ  ؕ وَ اِنَّ مِنۡہَا لَمَا یَشَّقَّقُ فَیَخۡرُجُ مِنۡہُ الۡمَآءُ  ؕ وَ اِنَّ مِنۡہَا لَمَا یَہۡبِطُ مِنۡ خَشۡیَۃِ اللّٰہِ   ؕوَ مَا اللّٰہُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۷۴﴾

"Translation in English"

iss sabb kay baad tumharay dil phir sakht hogaye , yahan tak kay woh aesay hogaye jaisay pathar ! balkay sakhti mein kuch unn say bhi ziyada . ( kiyonkay ) pathraon mein say kuch aesay bhi hotay hain jinn say nehren phoot behti hain , aur unhi mein say kuch woh hotay hain jo khud phatt parrtay hain aur unn say paani nikal aata hai , aur unhi mein woh ( pathar ) bhi hain jo Allah kay khof say lurhak jatay hain . . aur ( iss kay bar-khilaf ) jo kuch tum ker rahey ho , Allah uss say bey khabar nahi hai . 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
 Dated  :- 25/12/2024
Wednesday, Morning 

Surat No 2 : سورة البقرة
 - Ayat No 74 

ثُمَّ قَسَتۡ قُلُوۡبُکُمۡ مِّنۡۢ بَعۡدِ ذٰلِکَ فَہِیَ کَالۡحِجَارَۃِ اَوۡ اَشَدُّ قَسۡوَۃً  ؕ وَ  اِنَّ مِنَ الۡحِجَارَۃِ لَمَا یَتَفَجَّرُ  مِنۡہُ الۡاَنۡہٰرُ  ؕ وَ اِنَّ مِنۡہَا لَمَا یَشَّقَّقُ فَیَخۡرُجُ مِنۡہُ الۡمَآءُ  ؕ وَ اِنَّ مِنۡہَا لَمَا یَہۡبِطُ مِنۡ خَشۡیَۃِ اللّٰہِ   ؕوَ مَا اللّٰہُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۷۴﴾

"Translation in English"

Then your hearts became hardened after that, being like stones or even harder. For indeed, there are stones from which rivers burst forth, and there are some of them that split open and water comes out, and there are some of them that fall down for fear of Allah . And Allah is not unaware of what you do. 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
 Dated  :- 25/12/2024
Wednesday, Morning 

Surat No 2 : سورة البقرة
 - Ayat No 74 

ثُمَّ قَسَتۡ قُلُوۡبُکُمۡ مِّنۡۢ بَعۡدِ ذٰلِکَ فَہِیَ کَالۡحِجَارَۃِ اَوۡ اَشَدُّ قَسۡوَۃً  ؕ وَ  اِنَّ مِنَ الۡحِجَارَۃِ لَمَا یَتَفَجَّرُ  مِنۡہُ الۡاَنۡہٰرُ  ؕ وَ اِنَّ مِنۡہَا لَمَا یَشَّقَّقُ فَیَخۡرُجُ مِنۡہُ الۡمَآءُ  ؕ وَ اِنَّ مِنۡہَا لَمَا یَہۡبِطُ مِنۡ خَشۡیَۃِ اللّٰہِ   ؕوَ مَا اللّٰہُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۷۴﴾

"Translation in Urdu"

پھر اس کے بعد تمہارے  دل   پتھر  جیسے بلکہ اس سے بھی  زیادہ   سخت  ہوگئے بعض پتھروں سے تو نہریں بہہ نکلتی ہیں ، اور بعض پھٹ جاتے ہیں اور ان سے  پانی  نکل آتا ہے ، اور بعض اللہ تعالیٰ کے ڈر سے گر گر پڑتے ہیں اور تم اللہ تعالٰی کو اپنے  اعمال  سے  غافل  نہ جانو ۔ 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Evening 

Surat No 29 : سورة العنكبوت
 - Ayat No 42 

اِنَّ اللّٰہَ یَعۡلَمُ مَا یَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِہٖ مِنۡ شَیۡءٍ ؕ وَ  ہُوَ  الۡعَزِیۡزُ  الۡحَکِیۡمُ ﴿۴۲﴾


"Description of the Ayat in Hindi [Tahfeem ul quran ( Modudi)]"

हाशिया-74 यानी अल्लाह को उन सब चीज़ों की हक़ीक़त ख़ूब मालूम है जिन्हें ये लोग माबूद बनाए बैठे हैं और मदद के लिये पुकारते हैं। उनके बस में कुछ भी नहीं है। ताक़त का मालिक सिर्फ़ अल्लाह ही है और उसी की तदबीर और हिकमत इस कायनात का निज़ाम चला रही है। एक दूसरा तर्जमा इस आयत का ये भी हो सकता है- अल्लाह ख़ूब जानता है कि उसे छोड़कर जिन्हें ये लोग पुकारते हैं वो कुछ भी नहीं हैं (यानी बे-हक़ीक़त हैं) और ज़बरदस्त और हिकमतवाला बस वही है।

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Evening 

Surat No 29 : سورة العنكبوت - Ayat No 42 

اِنَّ اللّٰہَ یَعۡلَمُ مَا یَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِہٖ مِنۡ شَیۡءٍ ؕ وَ  ہُوَ  الۡعَزِیۡزُ  الۡحَکِیۡمُ ﴿۴۲﴾

"Translation in Hindi"

ये लोग अल्लाह को छोड़कर जिस चीज़ को भी पुकारते हैं, अल्लाह उसे ख़ूब जानता है और वही ज़बरदस्त और हिकमतवाला है।(74) - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Evening 

Surat No 29 : سورة العنكبوت
 - Ayat No 42 

اِنَّ اللّٰہَ یَعۡلَمُ مَا یَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِہٖ مِنۡ شَیۡءٍ ؕ وَ  ہُوَ  الۡعَزِیۡزُ  الۡحَکِیۡمُ ﴿۴۲﴾

"Translation in Roman Urdu"

yeh log Allah ko chorr ker jiss jiss cheez ko pukartay hain Allah ussay khoob janta hai , aur woh iqtidar ka bhi malik hai , hikmat ka bhi malik . 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Evening 

Surat No 29 : سورة العنكبوت - Ayat No 42 

اِنَّ اللّٰہَ یَعۡلَمُ مَا یَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِہٖ مِنۡ شَیۡءٍ ؕ وَ  ہُوَ  الۡعَزِیۡزُ  الۡحَکِیۡمُ ﴿۴۲﴾

"Translation in English"

Indeed, Allah knows whatever thing they call upon other than Him. And He is the Exalted in Might, the Wise. 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Evening 

Surat No 29 : سورة العنكبوت - Ayat No 42 

اِنَّ اللّٰہَ یَعۡلَمُ مَا یَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِہٖ مِنۡ شَیۡءٍ ؕ وَ  ہُوَ  الۡعَزِیۡزُ  الۡحَکِیۡمُ ﴿۴۲﴾

"Translation in Urdu"

اللہ تعالٰی ان تمام چیزوں کو جانتا ہے جنہیں وہ اس کے سوا پکار رہے ہیں ، وہ زبردست اور ذی حکمت ہے ۔ 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah -  [यही देश के IAS,IPS अधिकारियों एवं नेताओं और कानूनऔर संविधान के रखवालों का हाल है] - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - जिस उम्मत को कब्रिस्तान से गुज़रते वक्त मुर्दा को सलाम करने का हुक्म है, 

वह इतनी बे हस हो चुकी है की जिन्दा को भी बग़ैर मतलब के सलाम नहीं करती हैं ا  😢 - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Tuesday 

Surat No 9 : سورة التوبة
 - Ayat No 55 

فَلَا تُعۡجِبۡکَ اَمۡوَالُہُمۡ وَ لَاۤ  اَوۡلَادُہُمۡ ؕ اِنَّمَا یُرِیۡدُ اللّٰہُ  لِیُعَذِّبَہُمۡ بِہَا فِی الۡحَیٰوۃِ الدُّنۡیَا وَ تَزۡہَقَ اَنۡفُسُہُمۡ وَ ہُمۡ کٰفِرُوۡنَ ﴿۵۵﴾


"Description of the Ayat in Hindi [Tahfeem ul quran ( Modudi)]"

हाशिया-54 यानी इस माल और औलाद की मुहब्बत में गिरफ़्तार होकर जो मुनाफ़िक़ाना रवैया इन्होंने अपनाया है, इसकी वजह से मुस्लिम समाज में ये बहुत ही रुसवा और बे-इज़्ज़त होकर रहेंगे और रियासत व हुकूमत की वो सारी शान और इज़्ज़त व नामवरी और बड़ाई और चौधराहट, जो अब तक अरबी समाज में उनको हासिल रही है, नए इस्लामी समाजी निज़ाम में वो मिट्टी में मिल जाएगी। मामूली-मामूली ग़ुलाम और ग़ुलामज़ादे और मामूली किसान और चरवाहे, जिन्होंने सच्चे ईमान का सुबूत दिया है, इस नए निज़ाम में इज़्ज़तदार होंगे और ख़ानदानी चौधरी अपनी दुनियापरस्ती की वजह से बे-इज़्ज़त होकर रह जाएँगे। इस कैफ़ियत का एक दिलचस्प नमूना वो वाक़िआ है जो एक बार हज़रत उमर (रज़ि०) की मजलिस में पेश आया। क़ुरैश के कुछ बड़े-बड़े शैख़, जिनमें सुहैल-बिन-अम्र और हारिस-बिन-हाशिम जैसे लोग भी थे, हज़रत उमर से मिलने गए। वहाँ ये सूरत पेश आई कि अन्सार और मुहाजिरीन में से कोई मामूली आदमी भी आता तो हज़रत उमर (रज़ि०) उसे अपने पास बुलाकर बैठाते और इन शैख़ौं से कहते कि इसके लिये जगह ख़ाली करो। थोड़ी देर में नौबत ये आई कि ये लोग सरकते-सरकते मजलिस के किनारे पहुँच गए। बाहर निकलकर हारिस-बिन-हिशाम ने साथियों से कहा कि तुम लोगों ने देखा आज हमारे साथ क्या सुलूक हुआ है? सुहैल-बिन-अम्र ने कहा, इसमें उमर का कुछ क़ुसूर नहीं, क़ुसूर हमारा है कि जब हमें इस दीन की तरफ़ दावत दी गई तो हमने मुँह मोड़ा और ये लोग इसकी तरफ़ दौड़कर आए। फिर ये दोनों साहिब दोबारा हज़रत उमर (रज़ि०) के पास हाज़िर हुए और कहा कि आज हमने आपका सुलूक देखा, और हम जानते हैं कि ये हमारी अपनी कोताहियों का नतीजा है, मगर अब इसकी भरपाई की भी कोई सूरत है? हज़रत उमर (रज़ि०) ने ज़बान से कुछ जवाब नहीं दिया और सिर्फ़ रूमी सरहद की तरफ़ इशारा कर दिया। मतलब ये था कि अब जिहाद के मैदान में जान-माल खपाओ तो शायद वो पोज़ीशन फिर हासिल हो जाए जिसे खो चुके हो। 

हाशिया-55 यानी इस ज़िल्लत और रुसवाई से बढ़कर मुसीबत उनके लिये ये होगी कि जिन मुनाफ़िक़ाना आदतों को ये अपने अन्दर पाल रहे हैं उनकी वजह से इन्हें मरते दम तक सच्चे ईमान की तौफ़ीक़ नसीब नहीं होगी और अपनी दुनिया ख़राब कर लेने के बाद ये इस हाल में दुनिया से रुख़सत होंगे कि आख़िरत भी ख़राब, बल्कि बहुत ख़राब होगी।

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Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Tuesday 

Surat No 9 : سورة التوبة
 - Ayat No 55 

فَلَا تُعۡجِبۡکَ اَمۡوَالُہُمۡ وَ لَاۤ  اَوۡلَادُہُمۡ ؕ اِنَّمَا یُرِیۡدُ اللّٰہُ  لِیُعَذِّبَہُمۡ بِہَا فِی الۡحَیٰوۃِ الدُّنۡیَا وَ تَزۡہَقَ اَنۡفُسُہُمۡ وَ ہُمۡ کٰفِرُوۡنَ ﴿۵۵﴾


"Description of the Ayat in Hindi [Tahfeem ul quran ( Modudi)]"

हाशिया-54 यानी इस माल और औलाद की मुहब्बत में गिरफ़्तार होकर जो मुनाफ़िक़ाना रवैया इन्होंने अपनाया है, इसकी वजह से मुस्लिम समाज में ये बहुत ही रुसवा और बे-इज़्ज़त होकर रहेंगे और रियासत व हुकूमत की वो सारी शान और इज़्ज़त व नामवरी और बड़ाई और चौधराहट, जो अब तक अरबी समाज में उनको हासिल रही है, नए इस्लामी समाजी निज़ाम में वो मिट्टी में मिल जाएगी। मामूली-मामूली ग़ुलाम और ग़ुलामज़ादे और मामूली किसान और चरवाहे, जिन्होंने सच्चे ईमान का सुबूत दिया है, इस नए निज़ाम में इज़्ज़तदार होंगे और ख़ानदानी चौधरी अपनी दुनियापरस्ती की वजह से बे-इज़्ज़त होकर रह जाएँगे। इस कैफ़ियत का एक दिलचस्प नमूना वो वाक़िआ है जो एक बार हज़रत उमर (रज़ि०) की मजलिस में पेश आया। क़ुरैश के कुछ बड़े-बड़े शैख़, जिनमें सुहैल-बिन-अम्र और हारिस-बिन-हाशिम जैसे लोग भी थे, हज़रत उमर से मिलने गए। वहाँ ये सूरत पेश आई कि अन्सार और मुहाजिरीन में से कोई मामूली आदमी भी आता तो हज़रत उमर (रज़ि०) उसे अपने पास बुलाकर बैठाते और इन शैख़ौं से कहते कि इसके लिये जगह ख़ाली करो। थोड़ी देर में नौबत ये आई कि ये लोग सरकते-सरकते मजलिस के किनारे पहुँच गए। बाहर निकलकर हारिस-बिन-हिशाम ने साथियों से कहा कि तुम लोगों ने देखा आज हमारे साथ क्या सुलूक हुआ है? सुहैल-बिन-अम्र ने कहा, इसमें उमर का कुछ क़ुसूर नहीं, क़ुसूर हमारा है कि जब हमें इस दीन की तरफ़ दावत दी गई तो हमने मुँह मोड़ा और ये लोग इसकी तरफ़ दौड़कर आए। फिर ये दोनों साहिब दोबारा हज़रत उमर (रज़ि०) के पास हाज़िर हुए और कहा कि आज हमने आपका सुलूक देखा, और हम जानते हैं कि ये हमारी अपनी कोताहियों का नतीजा है, मगर अब इसकी भरपाई की भी कोई सूरत है? हज़रत उमर (रज़ि०) ने ज़बान से कुछ जवाब नहीं दिया और सिर्फ़ रूमी सरहद की तरफ़ इशारा कर दिया। मतलब ये था कि अब जिहाद के मैदान में जान-माल खपाओ तो शायद वो पोज़ीशन फिर हासिल हो जाए जिसे खो चुके हो। 

हाशिया-55 यानी इस ज़िल्लत और रुसवाई से बढ़कर मुसीबत उनके लिये ये होगी कि जिन मुनाफ़िक़ाना आदतों को ये अपने अन्दर पाल रहे हैं उनकी वजह से इन्हें मरते दम तक सच्चे ईमान की तौफ़ीक़ नसीब नहीं होगी और अपनी दुनिया ख़राब कर लेने के बाद ये इस हाल में दुनिया से रुख़सत होंगे कि आख़िरत भी ख़राब, बल्कि बहुत ख़राब होगी।

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Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Tuesday 


Surat No 9 : سورة التوبة 
- Ayat No 55 



فَلَا تُعۡجِبۡکَ اَمۡوَالُہُمۡ وَ لَاۤ  اَوۡلَادُہُمۡ ؕ اِنَّمَا یُرِیۡدُ اللّٰہُ  لِیُعَذِّبَہُمۡ بِہَا فِی الۡحَیٰوۃِ الدُّنۡیَا وَ تَزۡہَقَ اَنۡفُسُہُمۡ وَ ہُمۡ کٰفِرُوۡنَ ﴿۵۵﴾

"Translation in Hindi"

इनके माल व दौलत और इनकी औलाद की ज़्यादती को देखकर धोखा न खाओ। अल्लाह तो ये चाहता है कि इन ही चीज़ों के ज़रिए से इनको दुनिया की ज़िन्दगी में भी अज़ाब में डाल दे [ 54] और ये जान भी दें तो हक़ के इनकार ही की हालत में दें। [ 55]

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Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Tuesday 

Surat No 9 : سورة التوبة 
- Ayat No 55 

فَلَا تُعۡجِبۡکَ اَمۡوَالُہُمۡ وَ لَاۤ  اَوۡلَادُہُمۡ ؕ اِنَّمَا یُرِیۡدُ اللّٰہُ  لِیُعَذِّبَہُمۡ بِہَا فِی الۡحَیٰوۃِ الدُّنۡیَا وَ تَزۡہَقَ اَنۡفُسُہُمۡ وَ ہُمۡ کٰفِرُوۡنَ ﴿۵۵﴾

"Translation in Roman Urdu"

tumhen inn kay maal aur aulad ( ki kasrat ) say taajjub nahi hona chahiye . Allah to yeh chahta hai kay inhi cheezon say inn ko dunyawi zindagi mein azab dey , aur inn ki jaan bhi kufr hi ki halat mein niklay . 

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Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Tuesday 

Surat No 9 : سورة التوبة - Ayat No 55 

فَلَا تُعۡجِبۡکَ اَمۡوَالُہُمۡ وَ لَاۤ  اَوۡلَادُہُمۡ ؕ اِنَّمَا یُرِیۡدُ اللّٰہُ  لِیُعَذِّبَہُمۡ بِہَا فِی الۡحَیٰوۃِ الدُّنۡیَا وَ تَزۡہَقَ اَنۡفُسُہُمۡ وَ ہُمۡ کٰفِرُوۡنَ ﴿۵۵﴾

"Translation in English"

So let not their wealth or their children impress you. Allah only intends to punish them through them in worldly life and that their souls should depart [at death] while they are disbelievers. 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 24/12/2024
Tuesday 

Surat No 9 : سورة التوبة 
- Ayat No 55 

فَلَا تُعۡجِبۡکَ اَمۡوَالُہُمۡ وَ لَاۤ  اَوۡلَادُہُمۡ ؕ اِنَّمَا یُرِیۡدُ اللّٰہُ  لِیُعَذِّبَہُمۡ بِہَا فِی الۡحَیٰوۃِ الدُّنۡیَا وَ تَزۡہَقَ اَنۡفُسُہُمۡ وَ ہُمۡ کٰفِرُوۡنَ ﴿۵۵﴾

"Translation in Urdu"

پس آپ کو ان کے  مال  و  اولاد  تعجب میں نہ ڈال دیں اللہ کی چاہت یہی ہے کہ اس سے انہیں  دنیا  کی زندگی میں ہی سزا دے اور ان کے کفر ہی کی  حالت  میں ان کی جانیں نکل جائیں ۔ 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - ┉┅━❀🌼🌹🌼❀━┅┉

*एक दूसरे पर तीन एहसान जरूर करें :*
*नफा नहीं दे सकते ,तो नुकसान न करो। खुश नहीं कर सकते ,तो दुखी न करो ।*
*तारीफ नहीं कर सकते ,*
 *तो बुराई न करो*

*खुशी थोड़ी देर के लिए सब्र देती है,और सब्र हमेशा के लिए खुशी देता है।*
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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - इंसान को इस बात का अफ़सोस रहता है कि ज़िन्दगी एक दफ़ा थी और उसको भी वह ओरिजिनल तरीक़े से नहीं गुज़ार सका। उसकी ज़िन्दगी महज़ एक्टिंग और धोखेबाज़ी में गुज़रती है। सबसे बड़ा धोखा वह ख़ुद को देता है जब वह अपने नेचर के साथ सच्चा नहीं रहता।

वैसे कितने लोग हैं जो अपनी असली रूह का पता भी कर पाते हैं कि वह कौन हैं और ज़िन्दगी से क्या चाहते हैं.? हमारी ख्वाहिशात महज़ सामाजिक ज़रूरतें हैं। हम ने कभी उस इंसान को नहीं खोजा जो अपने ओरिजिनल से मिलने को बेताब है और जिसे ज़्यादा देर तक दबाया नहीं जा सकता। 🙂 - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - *विदेश में एक समाचार पत्र में बड़ा अजीब सा विज्ञापन प्रकाषित हूआ था:-.!!*
*शीर्षक था।*

*"वृद्ध दम्पत्ति चाहिए"*
*"जो हमारे साथ में रह सके!"*

*एक वृद्ध दम्पत्ति ने फोन किया,,:- हमें जॉब चाहिए, पर काम क्या करना होगा..??*
*वहाँ से आवाज़ आई..*
*आपको कोई काम नहीं करना है क्योंकि,*
*हम दोनों डॉक्टर्स हैं और*
*हमारी "माँ" तीन महीने पहले चल बसी..!!*

*काम करने के लिए हमारे पास सेवादार हैं..!*
*पर हमें कोई पुछने वाला नहीं है कि,*
*बेटा आज देर से क्यूँ आये..?*
*खाना खाया या नहीं..???*

*हम काम से घर आएँ तो, कोई प्रेम देकर सहला दे..!!*
*उन वृद्व दंपति की आँखों में आँसू आ गए..*
*आदरणीय,, मित्रों..*
*जगत की विडम्बना है कि जिनके घर में माता-पिता हैं उनकी कदर नहीं है..!! 😔🙇🏻‍♂️🙏*

*और जिनके नहीं हैं,*
*उनको लगता है माता-पिता होते तो कितना अच्छा रहता..!!*
🙏🙏🙏🙏
*याद रखें,,*
*मुफ्त में सिर्फ मां बाप का प्यार मिलता है, उसके बाद हर रिश्ते के लिए कुछ ना कुछ चुकाना पड़ता है..!!*
 
*इस समुची सृष्टि में "माता पिता" से बढकर कोई नही..!!*
  *काश.. यह बात सभी संताने समझ पाती..!!* - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - बेशक़ , 
इसीलिए दीन ए इस्लाम मे फंडा मेंटली , मां बाप के राइट्स ,  बता दिए है कि , 
वो ही तेरे  लिए जन्नत व दोजख है।
अगर , दिल जीत लिया तो जन्नत 
और नाराजी में दोजख ही नसीब 
 होगी ।
।।। अल्लाह की पनाह हर बन्दे को 
        अल्लाह पाक़ माँ बाप के 
          हुक़ूक़  पाबन्द बनाये ।
            ।।। आमीन ।।। - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Dated  :- 23/12/2024
Monday, evening. 

Surat No 59 : سورة الحشر
 - Ayat No 18 

یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰہَ  وَ لۡتَنۡظُرۡ  نَفۡسٌ مَّا قَدَّمَتۡ لِغَدٍ ۚ وَ اتَّقُوا اللّٰہَ ؕ اِنَّ اللّٰہَ  خَبِیۡرٌۢ   بِمَا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۱۸﴾


"Description of the Ayat in Hindi [Tahfeem ul quran ( Modudi)]"

हाशिया-28 क़ुरआन मजीद का क़ायदा है कि जब कभी मुनाफ़िक़ मुसलमानों के निफ़ाक़ पर पकड़ की जाती है तो साथ-साथ उन्हें नसीहत भी की जाती है, ताकि उनमें से जिसके अन्दर भी अभी कुछ ज़मीर की ज़िन्दगी बाक़ी है वो अपने इस रवैये पर शर्मिन्दा हो और ख़ुदा से डरकर उस गढ़े से निकलने की फ़िक्र करे जिसमें नफ़्स की बन्दगी ने उसे गिरा दिया है। इस पूरे रुकू में यही नसीहत की गई है। 

हाशिया-29 कल से मुराद आख़िरत है। मानो दुनिया की ये पूरी ज़िन्दगी 'आज' है और 'कल' वो क़ियामत का दिन है जो इस आज के बाद आनेवाला है। ये अन्दाज़े-बयान अपनाकर अल्लाह ने बहुत ही हिकमत भरे तरीक़े से इन्सान को ये समझाया है कि जिस तरह दुनिया में वो शख़्स सख़्त नादान है जो आज के लुत्फ़ और मज़े पर अपना सब कुछ लुटा बैठता है और नहीं सोचता कि कल उसके पास खाने को रोटी और सर छिपाने को जगह भी बाक़ी रहेगी या नहीं, इसी तरह वो शख़्स भी अपने पाँव पर ख़ुद कुल्हाड़ी मार रहा है जो अपनी दुनिया बनाने की फ़िक्र में ऐसा डूबा है कि अपनी आख़िरत को बिलकुल भुला बैठा है, हालाँकि आख़िरत ठीक उसी तरह आनी है जिस तरह आज के बाद कल आनेवाला है, और वहाँ वो कुछ नहीं पा सकता अगर दुनिया की मौजूदा ज़िन्दगी में उसके लिये कोई पेशगी सामान नहीं जुटाता। इसके साथ दूसरा हिकमत-भरा नुक्ता ये है कि इस आयत में हर शख़्स को आप ही अपना हिसाब लेनेवाला बनाया गया है। जब तक किसी शख़्स में ख़ुद अपने बुरे-भले की तमीज़ पैदा न हो जाए, उसको सिरे से ये एहसास ही नहीं हो सकता कि जो कुछ वो कर रहा है वो आख़िरत में उसके मुस्तक़बिल को सँवारनेवाला है या बिगाड़नेवाला। और जब उसके अंदर ये एहसास जाग जाए तो उसे ख़ुद ही अपना हिसाब लगाकर ये देखना होगा कि वो अपने वक़्त, अपने सरमाये, अपनी मेहनत, अपनी क़ाबिलियतों और अपनी कोशिशों को जिस राह में लगा रहा है वो उसे जन्नत की तरफ़ ले जा रही है या जहन्नम की तरफ़। ये देखना उसके अपने ही फ़ायदे का तक़ाज़ा है, न देखेगा तो आप ही अपना मुस्तक़बिल ख़राब करेगा।

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Dated  :- 23/12/2024
Monday, evening. 

Surat No 59 : سورة الحشر
 - Ayat No 18 

یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰہَ  وَ لۡتَنۡظُرۡ  نَفۡسٌ مَّا قَدَّمَتۡ لِغَدٍ ۚ وَ اتَّقُوا اللّٰہَ ؕ اِنَّ اللّٰہَ  خَبِیۡرٌۢ   بِمَا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۱۸﴾

"Translation in Hindi"

ऐ लोगो,(28) जो ईमान लाए हो! अल्लाह से डरो, और हर शख़्स ये देखे की उसने कल के लिये क्या सामान किया है।(29) अल्लाह से डरते रहो, अल्लाह यक़ीनन तुम्हारे उन सब आमाल से बाख़बर है जो तुम करते हो।

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Dated  :- 23/12/2024
Monday, evening. 

Surat No 59 : سورة الحشر 
- Ayat No 18 

یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰہَ  وَ لۡتَنۡظُرۡ  نَفۡسٌ مَّا قَدَّمَتۡ لِغَدٍ ۚ وَ اتَّقُوا اللّٰہَ ؕ اِنَّ اللّٰہَ  خَبِیۡرٌۢ   بِمَا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۱۸﴾

"Translation in Roman Urdu"

aey emaan walo ! Allah say daro , aur her shaks yeh dekhay kay uss ney kal kay liye kiya aagay bheja hai . aur Allah say daro . yaqeen rakho kay jo kuch tum kertay ho , Allah uss say poori tarah ba-khabar hai . 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - Dated  :- 23/12/2024
Monday, evening. 

Surat No 59 : سورة الحشر
 - Ayat No 18 

یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰہَ  وَ لۡتَنۡظُرۡ  نَفۡسٌ مَّا قَدَّمَتۡ لِغَدٍ ۚ وَ اتَّقُوا اللّٰہَ ؕ اِنَّ اللّٰہَ  خَبِیۡرٌۢ   بِمَا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۱۸﴾

"Translation in English"

O you who have believed, fear Allah . And let every soul look to what it has put forth for tomorrow - and fear Allah . Indeed, Allah is Acquainted with what you do. 

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Quote by Allah da bandah - Dated  :- 23/12/2024
Monday, evening. 

Surat No 59 : سورة الحشر
 - Ayat No 18

یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰہَ  وَ لۡتَنۡظُرۡ  نَفۡسٌ مَّا قَدَّمَتۡ لِغَدٍ ۚ وَ اتَّقُوا اللّٰہَ ؕ اِنَّ اللّٰہَ  خَبِیۡرٌۢ   بِمَا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۱۸﴾

"Translation in Urdu"

اے ایمان والو! اللہ سے ڈرتے رہو اور ہر شخص دیکھ ( بھال ) لے کہ  کل  (  قیامت  ) کے واسطے اس نے (  اعمال  کا ) کیا ( ذخیرہ ) بھیجا ہے اور ( ہر  وقت  ) اللہ سے ڈرتے رہو ۔ اللہ تمہارے سب  اعمال  سے باخبر ہے ۔ 

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Allah da bandah
Quote by Allah da bandah - बाप की लंबी उम्र के लिए दुआ करें और जिनके वालिद इस दुनिया से चले गए हैं अल्लाह पाक उनकी मगफिरत फरमाए।❤️🤲🏻 - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 23/12/2024
Monday. 

Surat No 6 : سورة الأنعام
 - Ayat No 60 

وَ ہُوَ الَّذِیۡ یَتَوَفّٰىکُمۡ بِالَّیۡلِ وَ یَعۡلَمُ مَا جَرَحۡتُمۡ بِالنَّہَارِ ثُمَّ یَبۡعَثُکُمۡ فِیۡہِ لِیُقۡضٰۤی  اَجَلٌ مُّسَمًّی ۚ ثُمَّ  اِلَیۡہِ مَرۡجِعُکُمۡ  ثُمَّ یُنَبِّئُکُمۡ بِمَا کُنۡتُمۡ تَعۡمَلُوۡنَ ﴿٪۶۰﴾                   13

"Translation in Hindi"

वही है जो रात को तुम्हारी रूहें क़ब्ज़ करता है और दिन को जो कुछ तुम करते हो उसे जानता है, फिर दूसरे दिन वो तुम्हें इसी कारोबार की दुनिया में वापस भेज देता है, ताकि ज़िन्दगी की मुक़र्रर मुद्दत पूरी हो। आख़िरकार उसी की तरफ़ तुम्हारी वापसी है, फिर वो तुम्हें बता देगा की तुम क्या करते रहे हो।

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Quote by Allah da bandah - Ayat of the day 
Dated  :- 23/12/2024
Monday. 

Surat No 6 : سورة الأنعام 
- Ayat No 60 

وَ ہُوَ الَّذِیۡ یَتَوَفّٰىکُمۡ بِالَّیۡلِ وَ یَعۡلَمُ مَا جَرَحۡتُمۡ بِالنَّہَارِ ثُمَّ یَبۡعَثُکُمۡ فِیۡہِ لِیُقۡضٰۤی  اَجَلٌ مُّسَمًّی ۚ ثُمَّ  اِلَیۡہِ مَرۡجِعُکُمۡ  ثُمَّ یُنَبِّئُکُمۡ بِمَا کُنۡتُمۡ تَعۡمَلُوۡنَ ﴿٪۶۰﴾                   13

"Translation in Roman Urdu"

aur wohi hai jo raat kay waqt ( neend mein ) tumhari rooh ( aik hadd tak ) qabz kerleta hai , aur din bhar mein tum ney jo kuch kiya hota hai , ussay khoob janta hai , phir uss ( naye din ) mein tumhen nai zindagi deta hai , takay ( tumhari umar ki ) muqarrara mauddat poori hojaye . phir ussi kay paas tum ko loat ker jana hai . uss waqt woh tumhen bataye ga kay tum kiya kiya kertay thay . 

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